लेखनी प्रतियोगिता -02-Dec-2021खिलौने वाली दादी

प्रेम, त्याग और समर्पण का नाम है दादी


तज़ुर्बे की धूप में सफेद बालों वाली दादी


परिवार को एक सूत्र में बांधने वाली दादी


परम्परा और सलीके सिखाने वाली दादी


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शरीर कमज़ोर उसूलों पर चलने वाली दादी


झूठी नाराज़गी का डर दिखाने वाली दादी


सबके आदर व श्रद्धा के केन्द्र वाली दादी  


वात्सल्यता की छांव में रखने वाली दादी


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प्रातः-सांझ भजन गाकर सुनाने वाली दादी


दादा व पापा पर सर्वस्व लुटाने वाली दादी


सदैव सरलता के मार्ग पर चलने वाली दादी


दर्द छिपाकर हमेशा मुस्कुराने वाली दादी


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संस्कृति का झंडा ऊंचा उठाने वाली दादी


स्वदेशी जीवनशैली को अपनाने वाली दादी


स्वर्गिक आनन्द दाता चरणों वाली दादी


सबके ध्यान की धुरी आदरणीया दादी


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बच्चों को लोरी सुनाने  वाली दादी


ग़लती पर सबको ..डांट लगाने वाली दादी


सबको  खिलाकर ..फिर  खाने वाली दादी


परेशानी में सबको ढांढस बंधाने वाली दादी


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अपनी स्वरचित रचना पर आप सबकी प्रतिक्रिया, आत्मीय और तार्किक समीक्षा की मुझे प्रतीक्षा होगी । कृपया अपनी टिप्पणी देकर मुझे प्रोत्साहित करें। सादर धन्यवाद् 🙏🏻
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10 Comments

Sana Khan

06-Dec-2021 07:26 PM

Bahut sunder

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शुक्रिया आपका दिल से 🙏🏻😊

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रतन कुमार

03-Dec-2021 02:03 AM

Wah behtarin

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जी धन्यवाद् और आभार आपका 👍🏻🌹🙏🏻😊

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Niraj Pandey

03-Dec-2021 12:49 AM

बहुत खूब

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